pmla act kya hai in hindi : PMLA एक्ट का पूरा नाम क्या है ? PMLA एक्ट क्रिप्टो ट्रेडिंग में कैसे काम करेगा ?
PMLA एक्ट का पूरा नाम धन-शोधन निवारण अधिनियम, २००२ है। [ Prevention of Money Laundering Act, 2002 ] यह एक्ट भारत के संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जिसका उद्देश्य काले धन को सफेद करने से रोकना है।
इसमें धन-शोधन से प्राप्त धन को राज्यसात (ज़ब्त) करने का प्रावधान है। यह अधिनियम 1 जुलाई, 2005 से प्रभावी हुआ।
शुरुआत से ही क्रिप्टोकरेंसी को लेकर केंद्र सरकार सख्ती बरत रही है। शुरआत में सरकार ने भारी-भरकम टैक्स लगाया, लेकिन अब क्रिप्टो ट्रेडिंग को मनी लॉन्ड्रिंग कानून के दायरे में ले लिया गया है. अबसे क्रिप्टो में हो रहे ट्रेडिंग पे सरकार कड़ी निगरानी रखेंगी।
एक ताजा गैजेट अधिसूचना के अनुसार, सभी प्रकार के वर्चुअल डिजिटल एसेट्स, जिन्हें आम तौर पर क्रिप्टोकरेंसी के नाम से जाना जाता है, उनमें ट्रेडिंग की कई गतिविधियां अब मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (Prevention of Money Laundering Act) यानी पीएमएलए (PMLA) के दायरे में आएंगी.
आसान भाषा में यु समज लीजिये अबसे क्रिप्टोकरेंसी में किया जाने वाला ट्रेड पर प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) जिनको ईडी (ED) के नाम से भी जाना जाता है और आयकर विभाग (Income Tax department) जैसी कानून प्रवर्तन एजेन्सिया आप अगर क्रिप्टो ट्रेडिंग से जुड़े हुवे है तो आप पे निगरानी रखेंगी।
मतलब की क्रिप्टो ट्रेडिंग ED या IT डिपार्टमेंट आपके वहा छापा मार सकता है
आपको बता दे यह पहला मौका नहीं है, जब सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सख्ती बरती हो. सरकार पहले भी अलग-अलग मौकों पर कई बार ऐसी करेंसी को लेकर सख्त रवैया अपना चुकी है.
पिछले साल बजट में सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन से हुई कमाई पर 30 फीसदी का भारी-भरकम इनकम टैक्स (Income Tax On Crypto) लगाया था. इसके बाद पिछले साल जुलाई में सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी पर 01 फीसदी टीडीएस (TDS On Crypto) भी लागू कर दिया था.
पिछले साल ही सरकार ने क्रिप्टो ट्रेडिंग से हो रहे मुनाफे में 30 % टैक्स लगाया था।
ताजे बदलाव की बात करें तो सरकार ने इसे 07 मार्च को अधिसूचित किया. इसके बाद क्रिप्टोकरेंसी, एक्सचेंज और सभी वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के ट्रांसफर पीएमएलए के दायरे में आ गए हैं.
नोटिफिकेशन के अनुसार, वर्चुअल डिजिटल एसेट्स का व्यवसास करने वाले निकाय अब रिपोर्टिंग एंटिटीज बन गए हैं. अब ऐसे निकायों को बैंकों व पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स की तर्ज पर रिपोर्टिंग के मानकों और केवाईसी के प्रावधानों का पालन करना होगा. मतलब साफ है कि सरकार देश में डिजिटल एसेट्स पर अपना नियंत्रण बढ़ाना चाहती है.
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