महिला आरक्षण बिल (women reservation bill) को लेकर चर्चाए अब अंतिम चरण में हे और हमें उम्मीद है की मोदी सरकार यह बिल पास करने में सफल रहेगी। महिला आरक्षण बिल क्या है और क्यों इसको लेकर विरोध भी हो रहे है ? आये जानते है इतिहास
ये लोग महिला आरक्षण बिल का विरोध कर रहे थे.
8 मार्च 2010 दोपहर को राज्यसभा में हंगामा मच गया था जब समाजवादी पार्टी के सांसद नंदकिशोर यादव और कमाल अख्तर सभापति हामिद अंसारी मेज पर चढ़ गए और माइक उखाड़ने की कोशिश करि थी।
राष्ट्रीय जनता दल के रजनी प्रसाद ने बिल की कॉपी फाड़कर स्पीकर पर फेंक दी. लोक जनशक्ति पार्टी के साबिर अली और निर्दलीय सांसद ऐजाज अली ने भी बहस रोकने की कोशिश की.
सदस्यों को निलंबित कर दिया गया
अगले दिन यानी 9 मार्च, 2010 को सभी सात दंगाई सदस्यों को निलंबित कर दिया गया और मार्शल लगाकर बाहर निकाल दिया गया। इसके बाद बिल पर वोटिंग हुई. इसके पक्ष में 186 वोट पड़े और विपक्ष में सिर्फ 1 वोट पड़ा. बीएसपी ने वॉकआउट किया और टीएमसी ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.
महिला आरक्षण विधेयक पहली बार प्रस्तावित होने के 14 साल बाद राज्यसभा में पारित हो गया है। 13 साल बीत जाने के बाद भी ये बिल लोकसभा में पास नहीं हो सका.
मोदी कैबिनेट ने इसे संसद में पेश करने की इजाजत दे दी
अब खबर है कि मोदी कैबिनेट ने इसे संसद में पेश करने की इजाजत दे दी है. अगर यह बिल पास हो गया तो लोकसभा और विधानसभा चुनाव में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित हो जाएंगी जो एक ऐतिहासिक क्षण होंगा ।
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