Jyeshtha amavasya 2024 कब है: ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को ज्येष्ठ अमावस्या का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 6 जून, गुरुवार को पड़ रही है। साल में 12 अमावस्या आती हैं, लेकिन ज्येष्ठ मास की अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस दिन वट सावित्री और शनि जयंती पर्व भी मनाए जाते हैं, जो इसे और भी खास बनाते हैं.
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, तर्पण, पिंडदान, जप-तप, पूजन और दान करने का विधान है।
ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और परिजनों पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है। आइए जानते हैं ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व, पूजा विधि, मुहूर्त और काम के उपाय.
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत और शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर पिंडदान, तर्पण और पितरों के नाम का भोजन कराने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों के आशीर्वाद से परिवार में उन्नति होती है। अमावस्या तिथि के स्वामी पितर हैं, इसलिए इस दिन पितरों के नाम की पूजा और तर्पण करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
इस दिन भगवान विष्णु, शनिदेव और वट वृक्ष की पूजा का भी विधान है। शनिदेव की जयंती होने के कारण, उनकी विधिवत पूजा से शनि के अशुभ प्रभाव में कमी आती है और सभी कष्ट दूर होते हैं। वहीं महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री व्रत भी रखती हैं। इसलिए उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या को पुण्य फलदायी और पवित्र माना गया है.
ज्येष्ठ अमावस्या पूजा मुहूर्त
ज्येष्ठ अमावस्या: 6 जून 2024, गुरुवार
शुरुआत: 5 जून, शाम 7:56 बजे
समापन: 6 जून, शाम 6:08 बजे
अमावस्या तिथि स्नान मुहूर्त: 6 जून, सुबह 4:59 बजे से 5:15 बजे तक
शनिदेव पूजा मुहूर्त: 6 जून, शाम 6:42 बजे से रात 7:05 बजे तक
वट सावित्री पूजा मुहूर्त: 6 जून, सुबह 8:56 बजे से दोपहर 1:45 बजे तक
उदया तिथि के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून को पड़ेगी। इस दिन पितरों को तर्पण, हवन और अखंड पाठ करने का विशेष महत्व है।
काम के उपाय
व्रत और उपवास: अमावस्या के दिन उपवास रखने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पितृ दोष दूर होते हैं.
तर्पण और पिंडदान: पवित्र नदियों में स्नान कर पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करने से उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति आती है.
शनिदेव की पूजा: शनिदेव की पूजा कर उनके अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है। इस दिन शनिदेव को तिल का तेल, काले तिल और काले वस्त्र अर्पित करें.
वट सावित्री व्रत: महिलाएं वट सावित्री व्रत रखकर अपने पति की लंबी आयु और सुखमय जीवन की कामना कर सकती हैं.
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन किए गए इन कार्यों से न केवल पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि भी आती है। इस दिन का सही तरीके से पालन करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं.
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