
गणेश चतुर्थी एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो भ1गवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि को आता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर के बीच पड़ती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है और उनका स्वागत बड़े धूमधाम से किया जाता है।
इतिहास और महत्व:
भगवान गणेश का जन्म: मान्यता के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म देवता शिव और देवी पार्वती के घर हुआ था। गणेश को बुद्धि, समृद्धि और भाग्य का देवता माना जाता है। उनका स्वरूप एक हाथी के सिर वाला है, जो उनके विशेष गुणों और शक्तियों को दर्शाता है।
महत्वपूर्ण कथा: एक कथा के अनुसार, गणेश का जन्म तब हुआ जब देवी पार्वती ने अपने शरीर की माला से एक सुंदर और स्वस्थ बालक बनाया और उसे जीवनदान दिया। यह बालक गणेश था। देवी पार्वती ने गणेश को दरवाजे पर रख दिया और शिव से मिलने चले गईं। जब शिव वहां पहुंचे, तो गणेश ने उन्हें भीतर जाने से रोक दिया, जिससे शिव और गणेश के बीच विवाद हुआ। अंततः शिव ने गणेश के सिर को काट दिया और बाद में एक हाथी का सिर जोड़कर गणेश को पुनर्जीवित किया।
त्योहार की शुरुआत: गणेश चतुर्थी की पूजा का इतिहास बहुत पुराना है, लेकिन यह त्योहार विशेष रूप से 19वीं सदी में लोकमान्य तिलक के प्रयासों से लोकप्रिय हुआ। उन्होंने इसे एक सार्वजनिक और सामूहिक त्योहार के रूप में मान्यता दी, जिससे यह समाज में एकजुटता और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक बन गया।
उत्सव की प्रक्रिया: गणेश चतुर्थी के दौरान, घरों और सार्वजनिक स्थानों पर भगवान गणेश की मूर्तियों की स्थापना की जाती है। इन मूर्तियों की पूजा और अभिषेक किया जाता है। पूरे दस दिन तक विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। अंतिम दिन, जिसे अनंत चतुर्दशी या विसर्जन दिवस कहते हैं, गणेश की मूर्ति को भव्य जुलूस के साथ विसर्जित किया जाता है।
सांस्कृतिक पहलू: गणेश चतुर्थी के दौरान विभिन्न प्रकार की पारंपरिक मिठाइयाँ जैसे कि मोदक, लड्डू, और पंजीरी बनाई जाती है। यह त्योहार भारत के विभिन्न हिस्सों में विविध रूप से मनाया जाता है, लेकिन इसकी भावना एक ही होती है—भगवान गणेश की पूजा और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति।
गणेश चतुर्थी न केवल धार्मिक आस्था का पर्व है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और एकता का भी प्रतीक है।
