Bal Gangadhar tilak Jayanti History : बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1956 में रत्नागिरी , महाराष्ट्र में हुवा था | Keshav Gangadhar Tilak ये बाल गंगाधर तिलक का पहले नाम था |
आज ही के दिन जन्में थे स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है का नारा देने वाले
इस आर्टिकल में एक वीडियो भी हे जिसमे आपको लोकमान्य तिलक के जीवन से जुडी ऐसी बाते जानेगे जो बहोत ही कम लोग जानते हे । ( LOK MANY TILAK LIFE STORY )
बाल गंगाधर तिलक को लोकमान्य किसने नाम दिया था?
होमरूल आंदोलन के दौरान तिलक का नाम एक प्रसिद्ध नाम बन गया और इससे उन्हें लोकमान्य की उपाधि मिली । होम रूल आंदोलन आयरलैंड से लिया गया है। दो होम रूल लीग की स्थापना अप्रैल 1916 में बाल गंगाधर तिलक द्वारा और सितंबर 1916 में एनी बेसेंट द्वारा की गई थी।
Biography of Bal Gangadhar Tilak by Ritu Bhalala / लोकमान्य तिलककी अनसुनी बातें
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Bal Gangadhar Tilak Jayanti History
BAL GANGADHAR TILAK का प्रारंभिक जीवन
जन्म : 23 जुलाई 1956 में रत्नागिरी जिले के चिखली गांव में हुवा था | अपना प्राथमिक शिक्षण पूरा होने के बाद लोकमान्य तिलक ने अपनी कॉलेज की पढ़ी भी पूरी की थी और स्कूल तथा कॉलेज में गणित के शिक्षक भी बने ।
LOK MANY TILAK का राजनितिक सफर
बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेजी में मराठा दर्पण व मराठी में केसरी नाम से दो दैनिक समाचार पत्र शुरू किए, यह दोनों जल्द ही जनता में बहुत लोकप्रिय हो गए।
इन्होंने मांग की कि ब्रिटिश सरकार तुरन्त भारतीयों को पूर्ण स्वराज दे। वो अपने अखबार केसरी में अंग्रेजों के खिलाफ काफी आक्रामक लेख लिखते थे। इन्हीं लेखों की वजह से उनको कई बार जेल भेजा गया।
लोक मान्य तिलक ने अंग्रेजी शासन की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति हीन भावना की बहुत आलोचना की।
6 साल के कारावास में बिताये :
BAL GANGADHAR TILAK HISTORY IN HINDI : ब्रिटिश सरकार ने उन्हें 6 साल के करावास की सजा सुनाई थी । कारावास के दौरान तिलक ने जेल प्रबंधन से कुछ किताबों और लिखने की मांग की लेकिन ब्रिटिश सरकार ने उन्हें ऐसे किसी पत्र को लिखने पर रोक लगा दी जिसमें राजनैतिक गतिविधियां हो।
तिलक ने कारावास में एक किताब भी लिखी, कारावास की सजा पूर्ण होने के कुछ समय पूर्व ही बाल गंगाधर तिलक की पत्नी का स्वर्गवास हो गया। इस खबर की जानकारी उन्हें जेल में भी एक खत से हुई। ब्रिटिश सरकार की ख़राब नीतियों की वजह से वो अपनी पत्नी के अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाए थे।
बाल गंगाधर तिलक ने अपने जीवन काल के दौरान कुछ किताबे भी लिखी थी ।
– वेद काल का निर्णय
– आर्यों का मूल निवास स्थान
– गीता रहस्य अथवा कर्मयोग शास्त्र
– वेदों का काल-निर्णय और वेदांग ज्योतिष
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