डिजिटल दुनिया जैसे आगे बढ़ रही है वैसे ही चोरी और जालसाजी भी अब ऑनलाइन हो रही है , जिसमे पढ़े लिखे लोग भी आसानी से जालसाजी का शिकार हो रहे है। मंगलवार को चौकाने वाली घटना सामने आई, जब एक घोड़ापदेव की महिला ने पुलिस में जालसाजों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
ताइवान के लिए उसका पार्सल
शिकायत के अनुसार, उन्हें मंगलवार को एक अज्ञात व्यक्ति ने फोन किया, जिसने खुद को एक कूरियर कंपनी का रिप्रेजेंटेटिव होने का दावा किया । उसने शिकायतकर्ता को बताया कि ताइवान के लिए उसका पार्सल कुछ दिक्कतों के कारण आगे फॉरवर्ड नहीं हो पाया ।
ऑनलाइन पुलिस से संपर्क करना चाहिए
पीड़िता ने कॉल करने वाले को कहा की उसने ऐसा कोई पार्सल नहीं भेजा । फोन करने वाले ने उससे कहा कि अगर पार्सल उसका नहीं है तो उसे ऑनलाइन पुलिस से संपर्क करना चाहिए क्योंकि इसमें पांच पासपोर्ट, दो क्रेडिट कार्ड और कुछ नशीला पदार्थ मिला है।
जिसके बाद कॉल करने वाले ने कॉल को किसी अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर किया, कॉल करने वाले ने पुलिस होने का दावा किया और मामला नशीले पदार्थों से संबंधित होने की वजह से कॉल को ‘नारकोटिक्स विभाग’ के अधिकारी को ट्रांसफर कर दिया।
थोड़ी देर बाद, अपने आप को नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी बताने वाले जालसाजों ने पीड़िता से उसका आधार नंबर पूछा और दावा किया कि यह क्रिमिनल बैंक अकाउंट्स से जुड़ा हुआ है। उन्होंने समस्या के समाधान के लिए उसे स्काइप एप डाउनलोड करने के लिए कहा।
झूठा दावा किया
पीड़िता ने शिकायत में बताया, उसने निर्देशानुसार स्काइप एप डाउनलोड किया और कॉल करने वाले ने उसे एक आईडी दी, जिसमें यूजरनेम में ‘नारकोटिक्स विभाग’ का उल्लेख किया गया था।
इसलिए पीड़ित को कॉल करने वाले पर किसी भी तरह से संदेह नहीं हुआ। पीड़िता स्काइप पर एक वीडियो कॉल में शामिल हुई, जिसमें स्कैमर्स ने अपराधियों की कुछ तस्वीरें पेश कीं और झूठा दावा किया कि इन अपराधियों के बैंक अकाउंट्स उसके आधार नंबर से जुड़े हैं।
एक लेटर भेजा और उसके बैंक अकाउंट्स के बारे में जानकारी मांगी
कॉल करने वाले ने पीड़िता को “नारकोटिक्स विभाग” का संदर्भ देते हुए एक लेटर भेजा और उसके बैंक अकाउंट्स के बारे में जानकारी मांगी। इसके अलावा उसने उसे आधार वेरिफिकेशन के उद्देश्य से दो अकाउंट्स से 98,888 रुपये जमा करने के लिए कहा और उसे भरोसा दिलासा कि वेरिफिकेशन के बाद राशि वापस कर दी जाएगी।
कॉल करने वाले की बातों पर भरोसा करते हुए, पीड़िता ने पैसे भेज दिए और रिफंड का इंतजार करने लगी। हालांकि, कुछ देर इंतजार करने के बाद उसे धोखाधड़ी का अंदाजा हुआ है। इसके बाद उन्होंने स्कैमर्स के खिलाफ पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई।
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